Param pita parmatma ko jaanana har prani ke liye jaroori hai tabhi hum usko is jeevan ko jo usne hume pradan kiya hai ka dhanyawad de payenge
Wednesday, December 1, 2010
Pujya Rawatpura Sarkaar ke darshan
जय गुरुदेव (पूज्य श्री रावतपुरा सरकारजी)
राधे-राधे,
आप लोग सोच रहे होंगे ये किसकी बातें लिखने लगी, तो पहले आप लोगों को थोडा कुछ पूज्य रावतपूरा सरकार के बारे में लिखना चाहूंगी चम्बल के बीहड़ों में झाँसी व ग्वालियर के पास एक खुबसूरत कह सकते हैं की बीहड़ों में स्वर्ग है वह जगह नाम है रावतपुरा वैसे आप लोगों में से शायद कई लोग इस जगह और वहां के रखवाले पूज्य रावतपुरा सरकार (हनुमानजी का मंदिर है) से परिचित होंगे और उसी जगह एक संत का आगमन हुआ जिनके आते ही वो जगह स्वर्ग बन गयी उनका नाम पूज्य श्री रविशंकर जी महाराज है, जिनको हनुमानजी का अवतार मना जाता है, और इसी लिए उन्हें रावतपुरा सरकार के नाम से जानते हैं, उनके गुरुदेव से भी शायद सभी लोग परिचित होंगे, परम पूज्य श्री देवरहा बाबाजी, मैंने सुना है की श्री रावतपुरा सरकारजी मेरे पूज्य गुरूजी के गुरुभाई हैं, तो गुरूजी की कृपा तो होनी ही थी और इसी लिए गुरूजी के महासमाधि के बाद हमे रावतपुरा सरकारजी की शरण में जाने की प्रेरणा गुरूजी से मिली, इस बारे में आगे बताऊंगी, अभी उनके प्रथम दर्शन के बारे में बता देती हूँ,
बात उन दिनों की है जब मैं university में अद्ध्यापन कार्य किया करती थी उस समय हमारे university registrar जो की रावतपुरा सरकारजी के परम शिष्य थे, के यहाँ उनका आगमन हुआ ये बात दीदी को भी पता चली उन्होंने कहा की इतने बड़े संत आये हैं तो हमे उनके दर्शन के लिए जाना चाहिए घर से सभी लोग उनके दर्शन करने जाने लगे, मुझसे भी चलने को कहा, मगर मैंने यह कह कर जाने को मना कर दिया की मैं अपने गुरूजी के अलावा और किसी के दर्शन नहीं करना चाहती, ये मेरी भूल थी, भूल ही क्यों? ये तो मेरा अपराध था जो एक संत की अवज्ञा की थी, जो बाद में समझ में आया. सब उनके दर्शन करके बहुत आनंदित लौटे मैं वि.वि. जाने की तैयारी कर रही थी माँ ने फिर कहा की दर्शन कर लेना मैं हाँ कह कर चली गयी, जब लंच टाइम हुआ तो मैंने मिलने जाने की सोची, गयी मगर उस समय वो किसी से मिल नहीं रहे थे और ४ बजे आने को कहा अब मैं ४ बजे फिर गयी लम्बी लाइन लगी हुई थी मै भी जा कर लग गयी लाइन में सब उनके दर्शन कर के ख़ुशी-२ निकल रहे थे मेरी भी अब उनसे मिलने की इच्छा प्रबल होने लगी थी पर जैसे ही मेरा नंबर आया तो उनके कार्यकर्त्ता ने कहा अब नहीं दर्शन हो सकते अब गुरुदेव ध्यान में चले गए हैं और मुझे बिना दर्शनों के ही वापस आना पड़ा, पूरी रात मुझे नींद नहीं आयी क्योंकि समझ आगया था की ये मेरे अपराध का फल है, बस अगले दिन जल्दी उठी और जल्दी ही तैयार हो कर सोचा उनके दर्शन करने जाऊंगी पहले, फिर ही अपने अन्य कार्य करूंगी और university के लिए निकल पड़ी, और जब आधे रास्ते में ही पहुंची होंगी की सामने से गाड़ियों का लम्बा काफिला तेजी से आता हुआ दिखा जिन्हें देखते ही समझ में आगया की ये तो रावतपुरा सरकार जी का काफिला है, अब तो मुझे समझ आने में जरा भी देर नहीं लगी की वो तो आज यहाँ से प्रस्थान कर रहे हैं, बस अब क्या कर सकती थी, वैसे अब मेरे मन में उनके प्रति श्रद्धा थी इस लिए मैंने उन्हें ऐसे ही वहां रुक कर प्रणाम करने की सोची और आँख बंद करके प्रणाम किया मन-ही-मन में और अपने अपराध के लिए माफ़ी भी मांगी मन थोडा उदास था, मगर जैसे ही आँखे खोली तो देखा की जो गाड़ियां इतनी तेजी से भाग रहीं थीं उनमे से एक गाड़ी बिलकुल कम रफ़्तार से चल रही थी और मेरे करीब से ऐसे गुजरी जिससे मै उसमे बैठे हर व्यक्ति को ठीक-ठीक देख सकती थी और मेरी निगाहें गुरुदेव पर जा कर रुक गयीं मैंने उन्हें झुक कर प्रणाम किया तो उन्होंने मेरी तरफ देखा फिर वो गाड़ी आगे तेज़ी से बढ़ गयी,कहते हैं न की संत ह्रदय नवनीत सामना वो तो हर एक को माफ़ कर देते हैं और सिर्फ हम पर कृपा दृष्टि ही रखते हैं , बस हम ही उन्हें समझने में कमी करते हैं क्योंकि हम इस संसार में खोये हुए हैं और सबको एक ही नज़र से देखते हैं, मगर उनका वो दिव्य दर्शन कर मन उनके और दर्शनों की प्यास को बेचैन हो गया था, मगर अभी तो कुछ नहीं हो सकता था, खैर फिर मेरा आगे जाने का मन ही नहीं हुआ और मैं वापस घर आगई मैंने माँ को आकर सब बताया उन्होंने कहा चल अभी के लिए इतना ही काफी है अब मन में इच्छा जागी है तो आगे भी दर्शन मिलेंगे मुझे पूरा विश्वास है.और मुझे उस दिन का इंतज़ार रहने लगा, और गुरुदेव ने बहुत जल्दी ही मेरी इच्छा पूरी कर दी और तब से उनके दर्शनों का व उनसे मिलने बात करने यहाँ तक की अपनी परेशानियों को उनसे फ़ोन पर discuss करने का भी सौभाग्य मिलता रहता है, आप लोगों को बताने में मैं कोई अतिश्योक्ति नहीं कर रही हूँ जब आप उनसे मिलेंगे तो आप भी पायेंगे की उनसे मिलने के व उनके दर्शनों मात्र से आपकी सारी परेशानियाँ दूर हो जायेंगी और आप परम शांति का अनुभव करेंगे, बस उनपे श्रद्धा रख कर तो देखिये मेरा पूरा विश्वास है, वो तो कृपा करने के लिए हर वक़्त तैयार हैं बस हमे उन तक पहुँचने की देर है , उनको मेरा शत-शत प्रणाम.
आगे की कथा बाद में लिखूंगी आज्ञा चाहती हूँ. जय श्री राधे,जय श्री कृष्ण, जय गुरुदेव, आप सभी का दिन शुभ हो भगवान् की कृपा आप सभी पर बनी रहे यही कामना है.
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jai gurudev
ReplyDeleteबस यही कहुगा जय गुरुवर , दर्शन दीजिए दीछा दीजिये
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