राधे-राधे,
परम पूज्य गुरुदेव (पु. रावतपुरा सरकारजी ) से सम्बंधित एक और अपना अनुभव शेयर करना चाहूंगी.
बात उस समय की है जब मेरी दीदी की शादी होने वाली थी तो उनका निमंत्रण पत्र हमने रावतपुरा भी गुरुदेव को भेजा था. उसके उत्तर में गुरुदेव का हस्ताक्षरित बधाई पत्र हमे तुरंत ही आगया, हमे सब बहुत ही आनंदित थे इसे पाकर और माँ ने उसे आज तक सम्हाल कर रखा हुआ है, इसके कुछ दिनों बाद ही पु. गुरुदेव का आगमन हमारे शहर में हुआ और मै और माँ उनके दर्शनों के लिए पहुंचे सुबह की आरती के बाद गुरुदेव कुछ समय भक्तों से मिलने में बिताते हैं सो हम भी मिलने गए पहले मैं गयी प्रणाम किया तो उन्होंने मेरी पढ़ाई के बारे में पूछा और आशीर्वाद दिया, मेरे बाद माँ गयीं माँ ने प्रणाम ही किया था की एक उन्होंने पूछ लिया "और बेटी की शादी ठीक से हो गयी न? हमारा पत्र मिला?", माँ के तो आँखों से आंसू बहाने लगे उनकी सर्वव्यापकता को जान कर नहीं तो उन्हें इतने लोगों में कैसे ये पता चल गया की माँ ही वो हैं जिनकी बेटी की शादी का निमंत्रण पत्र आया था, जबकि हमारा ऐसा कभी कोई introduction तो उनसे हुआ भी नहीं था तब तक बस हम सारी जनता के साथ उनके दर्शनों को जाते थे और आरती व होने वाले अन्य प्रोग्रामो में हो कर वापस आजाते थे, ऐसी छोटी-छोटी कई बातें हमारे साथ होती रहती हैं जो की प.पु. गुरूजी के गुरुदेव के मेरे बनके बिहारी के सर्व्यापकता का हम लोगों को अनुभव कराती रहती हैं कई बार तो अनुभव हो जाता है परन्तु कभी नहीं भी कर पते मगर इसका ये मतलब नहीं है की उनकी कृपा होना बंद हो गया है वो तो निरंतर कृपा कर रहे हैं बस हम पर ही सांसारिकता की बत्ती बंधी हुई है. और भी आगे लिखूंगी अभी ये ही याद आ गया तो सोचा आप लोगो से शेयर कर लूँ.
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