राधे-राधे,
आप सभी से काफी दिन दूर रही उसके लिए माफ़ी चाहती हूँ, मगर पता है आप लोग मुझे माफ़ करेंगे, इसलिए धन्यवाद के साथ कुछ नए अनुभवों को बाँट रही आप सभी के साथ....
जैसा की मै पहले ही आप लोगों से कह चुकी हूँ की जब व्यक्ति को प्रभु की कृपा से उसके अद्ध्यात्मिक गुरु का सानिध्य प्राप्त हो जाता है तब उनकी कृपा से उन अभूतपूर्व पूज्य आत्माओं का दर्शन व अनुभूतियाँ भी शिष्य को होनी शुरू हो जाती हैं, या ये कह सकते हैं की जो कृपा वे आजतक करते आरहे थे उनकी समझ और पहचान धीरे-२ होने लग जाती है, ऐसा ही कुछ शायद मेरे साथ भी थोडा-२ होने लगा है मुझे भी शायद अब भगवान व संत महापुरुषों की कृपा का कुछ-२ एहसास होने लगा है, कुछ अनुभूतियाँ मुझे हुई हैं जिन्हें बताना चाहूंगी, इसी प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए कुछ अनुभव मै प.पु. श्री शिर्डी साईं बाबा के बारे में प्रेषित कर रही हूँ ,
बात उस समय की है जब मै दिल्ली में छात्रावास में रहती थी और दीवाली पर घर आयी थी तब घर पे एक कैलेंडर देखा जिसमे श्री शिर्डी साईबाबा अपने चिरपरिचित मुद्रा में आशीर्वाद दे रहे थे, मैंने माँ से पूछा ये कब आये, तो माँ ने बताया "देखो इनका चमत्कार की एक दिन हम सोच रहे थे की हमारे घर में साईं बाबा की एक भी फोटो नहीं है एक लेकर आयेंगे, और उसी दिन शाम जब हम अपने एक परिचित के घर गए तो उन्होंने हमे ये कैलेंडर दिया ये कहते हुए कि वे शिर्डी गए थे तो वहां से लाये हैं हमारे लिए भी" , और देखिये बाबा ने इस तरह माँ की इच्छा तुरंत ही पूरी कर दी और घर में साक्षात् पधार गए, ये बात मैंने सुनी और जब मै हॉस्टल लौटी तो अपनी रूम मेट को ये बात बताई वो भी तमिल ब्रह्मिन थी व भगवान् में उसका भी पूर्ण विश्वास था, हमने अपने कमरे में एक छोटा सा पूजा स्थान बना रखा था, जब हम ये बात कर रहे थे तभी हमे भी लगा की हमारे पास भी साईं बाबा की एक भी फोटो नहीं है और हमने सोचा की अब जिस दिन छुट्टी होगी हम उस दिन बाज़ार से ले कर आयेंगे, अगले दिन सुबह-२ मैं स्नान कर पूजा करने बैठी ही थी की अनौंसमेंट हुआ मेरे नाम का की कोई मिलने आया है, मैं नीचे गयी तो मेरी एक फ्रेंड जो पूना में रहती थी उसने मेरे लिए कुछ तोहफे भेजे थे, मैं उन्हें ले कर ऊपर आयी और हम खोल कर देखने लगे और जैसे ही मैंने पहला पक्केट खोला साईं बाबा उसी अपनी चिरपरिचित मुद्रा में मुस्कुराते हुए आगये, उन्हें देखते ही हम दोनों अपनी हंसी रोक नहीं पाए और उस ख़ुशी में कब हमारे आंसू बहाने लगे पता ही नहीं चला और देखिये तो साईं बाबा भी हमारे साथ-२ वैसे ही मुस्कुरा रहे थे, हमारी तो जैसे मन की मुराद पूरी हो गयी थी हम दोनों बहुत खुश थे और हमने फिर मिलकर उन्हें अपने पूजा के स्थान पर पूर्ण श्रद्धा के साथ विराजमान किया, और तब से उनकी सर्वव्यापकता का हम लोगों को एहसास होने लग गया था, क्योंकि हम एक ऐसी दुनिया में रह रहे हैं जहाँ हर चीज को मानने के लिए साक्ष्य की जरूरत पड़ती है शायद इसी वजह से भगवान् को भी अपनी उपस्थिति का एहसास हम कलयुगी लोगों को कराने के लिए समय-२ पर प्रमाण प्रस्तुत करना पड़ता है, खैर जो भी है भगवान् को थोडा दिक्कत तो जरूर होती है मगर कम पर कुछ तो असर होता ही है ऐसा मेरा सोचना है.
इसी कड़ी में आगे --८-९ वर्ष पहले की बात होगी मेरा बहुत शिर्डी जाने का मन था मैंने माँ से कहा और कुछ ऐसा चमत्कार हुआ की हमारा अगले ही दिन सुबह जाने का प्रोग्राम बन गया हमारी पहली शिर्डी यात्रा का, रात को ही ड्राईवर को सुबह पौने चार बजे बुला लिया और मै, माँ, पास में ही रहने वाली एक आंटी व उनकी बेटी हम पांच लोगों ने मुंबई से शिर्डी के लिए प्रस्थान किया, मौसम भी बारिश का होने पर भी साफ़ मिला जब नासिक पहुंचे तब से रिमझिम फुहारे पदनी शुरू हो गयी कहते हैं की वहां ऐसा ही मौसम लगभग पूरे वर्ष रहता है, बहुत ही अच्छा मौसम था, हम करीब एक बजे तक शिर्डी पहुँच गए तभी याद आया की आज तो मंगलवार है, और आज के दिन तो इतनी भीड़ होती है की बाबा के दर्शनों को सुबह से शाम तक खड़े रहना पड़ जाता है तब कहीं दर्शन मिल पाते हैं और हमे तो उसी दिन वापस लौटना था, खैर अब तो बाबा पे छोड़ दिया था, और उनके दर्शनों के लिए मंदिर में प्रवेश किया, अब देखिये बाबा की लीला, जिस समय हम मंदिर में गए उस समय मुश्किल से १०-१२ लोग ही बस वहां दर्शनों के लिए लाइन में लगे थे और बाबा अपने भगतों को मुस्कुराते हुए स्वागत कर रहे थे बाहर भी (टीवी पटल पर भी), मैं यहाँ इस बात पर आप लोगों का ध्यान आकर्षित करवाना भी जरूरी समझती हूँ की जब आप लाइन में लगे होते हैं तब बाबा का लाइव वीडियो वहां टीवी स्क्रीन्स पर दर्शनों हेतु मौजूद रहता है और बाबा को देख कर आपको एक परम आनंद प्राप्त होता है क्योंकि वो इस तरह उनके चरणों के दर्शन करने पहुंचे भक्त को देख रहे होते हैं मानो पूछ रहे हों की और कैसे हो कुछ चाहते हो तो बताओ. एक माहौल ही बाबा के प्रति श्रद्धा से नतमस्तक हो जाने का बन जाता है (किसी के लिए भी) वहां, हमे भी जाते ही बाबा ने चमत्कार दिखा दिया था, अब हम बाबा के सामने खड़े थे और बिना किसी असुविधा के आराम से बाबा के भरपूर दर्शन कर पा रहे थे वो भी मंगलवार के रोज हमने वहां बाबा को पूरे १५ मिनट निहारा, और बस फिर तो देखा की वाहाँ भारी भीड़ हो गयी,हमने एक बार फिर बाबा को प्रणाम किया और धनंयवाद दिया की उन्होंने हमे उनके दर्शन करने की इच्छा को पूर्ण कराया. हम मंदिर से बाहर आये शनि देवजी के व गणपतिजी के भी दर्शन किये व मंदिर से बाहर आकर कुछ खरीद दारी की व लंच आदि के बाद मुंबई के लिए साईं बाबा से आज्ञा ले शिर्डी से प्रस्थान किया, अब नासिक पहुँचने से पहले पड़ने वाली पहाड़ी क्षेत्र में पहुंचाते ही लम्बा जाम लग गया पता चला एक बड़ा ट्रक आड़ा खड़ा हो गया है और अब शायद पूरी रात यहीं रुकना पड़ जाएगा, इस समय शाम के सात बज चुके थे अब तक पीछे भी कई और गाड़ियों के कारण जाम लग गया था हम पैक हो चुके थे, एक तरफ ऊँचे पहाड़ और दूसरी तरफ गहरी खाई, मगर मन में तो बाबा बसे थे बाबा के उपर पूर्ण विश्वास था इस लिए डर नहीं लग रहा था जबकि हम चार महिलाएं और एक ड्राईवर ही बस थे मगर उन सब से ऊपर बाबा का साथ था और गुरूजी तो रहते ही हैं न साथ हमेशा तो, हम बस बाबा को कह रहे थे की निकाल दो यहाँ से ताकि हम आज ही घर पहुँच सकें और तभी थोड़ी देर में वो ट्रक सीधा हो गया जो असंभव था, मगर सब बाबा की कृपा थी वो चाहें तो क्या नहीं कर सकते, बस थोड़ी देर में ही जाम ख़तम हो गया और हम नासिक पहुँच गए और फिर लगभग १० बजे रात तक हम बाबा की कृपा से घर पहुँच चुके थे, एक अविस्मरनीय उत्साह के साथ. ये सब बाबा के उस आशीर्वाद का फल था, और ये अनुभूति भी हमे पु.गुरूजी की कृपा से ही हुई थी, जो हम साईं बाबा की उपस्थिति का एहसास कर पाए, क्योंकि कहते हैं न की गुरु की अगर कृपा होती है तो भगवान् सानिध्य भी प्राप्त हो जाता है.
आज के लिए इतना ही काफी है, कल इसी प्रसंग ka आगे भी विस्तार करूंगी, आज आज्ञा दीजिये, जय श्री राधे, जय श्री कृष्ण, जय गुरुदेव, ॐ श्री साईं नाथाय नमः |
दिल को शुकून मिला, कृपया और अनुभव लिखें धन्यवाद
ReplyDeleteSai baba ki jai
ReplyDeleteAlmighty god sai ki jai ho
ReplyDeleteSai sai sai sai sai sai sai sai sai sai sai sai sai
ReplyDeleteSai baba naam kevlam
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