Param pita parmatma ko jaanana har prani ke liye jaroori hai tabhi hum usko is jeevan ko jo usne hume pradan kiya hai ka dhanyawad de payenge
Monday, November 29, 2010
ek yagya ke samay ki baat
एक बार हमे गुरूजी के एक यज्ञ में जो की घने टीक के जंगलों के बीच पहाड़ी के उपर नर्मदाजी के किनारे हो रहा था जाने का मौका मिला वर्षा का समय था हमे कोई वहां उस दुर्गम जंगल में जाने को नहीं मिल पा रहा था बारिश भी रिमझिम -२ हो रही थी, हम सोच रहे थे अब कैसे जा पाएंगे तभी मेरी बहन ने कहा अब मन बना लिया है और अगर गुरूजी चाहेंगे तो कुछ भी इन्तेजाम खुद -ब-खुद हो जायेगा तभी एक कार आती हुई दिखी थोडा पास आयी तो दीदी पहचान गयीं बोलीं अरे ये तो गुरूजी की गाड़ी आरही है इतने में वो गाड़ी हमारे पास आकर रुक गयी और गुरूजी उसमे से बोले अरे तुम लोग अकेले कहाँ जा रहे हो चलो गाड़ी में बैठो, हमे तो जैसे कोई खज़ाना मिल गया था मुझे तो पहली बार ही गुरूजी के साथ सफ़र करने का सौभाग्य भी उस दिन मिल गया था, रस्ते का नज़ारा और मौसम सुहाना था हम मन में सोच ही रहे थे की कितना अच्छा मौसम है इतने में गुरूजी बोले "तुमको एक बात बताऊँ, पता है गोलोकधाम में भी ऐसा ही मौसम रहता है" अब तो और आनंद का एहसास होने लगा, हम सब यज्ञ स्थल पहुँच गए और गुरूजी यज्ञ मंडप से कुछ दूर बैठे थे मंडप से थोडा नीचे उतरने पर एक बड़ा टेंट लगा था जिसमे आस-पास के गाँव से लोग पहुँच रहे थे टेंट में लोग खचाखच भरे हुए थे बारिश तेज होने के कारण फिसलन हो गयी थी इतने में टेंट के नीचे से मिटटी बहाने लगी मगर किसी का भी ध्यान इस ओर नहीं था देखते ही देखते पूरा टेंट लोगों और बच्चों के उपर आगिरा लोहे के खम्बे रॉड्स उनके उपर गिर पड़े थे उधर गुरूजी को ऊपर की तरफ किसी से बात करते देखा वो शायद श्री गणेशजी को कह रहे थे की "अरे ये क्या कर रहे हो अब तुम्ही संभालो सब को" सब ने मिलकर टेंट वापस खड़ा किया तो देखा कई लोग निचे दबे थे और किसी को एक खरोंच तक नहीं आयी थी सब ओर गुरूजी की और कृष्ण की जैजैकार हो रही थी हम सब तो बस गुरूजी को प्रणाम कर धन्यवाद दे रहे थे उनकी कृपा से सब ठीक हो गया और यज्ञ निर्विघ्न संम्पन्न हुआ. बोलो गुरुदेव की जय, जय श्री राधे जय श्री कृष्ण
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गुरुदेव की जय, जय
ReplyDeleteश्री राधे जय श्री कृष्ण