Tuesday, November 30, 2010

राधे-राधे,

आज मैं आप लोगों को कुछ नया नहीं लिख पाई उसके लिए माफ़ी मांगती हूँ कल जरूर कुछ और इन्तेरेस्तिंग अनुभवों को आप लोगों से शेयर करूंगी तब तक के लिए आज्ञा दीजिये. जय श्री राधे जय श्री कृष्ण जय गुरूजी की. भगवान् की कृपा राधेरानी की कृपा आप सभी पर बनी रहे यही कामना करती हूँ. have a nice day.

Monday, November 29, 2010

ek yagya ke samay ki baat

एक बार हमे  गुरूजी के  एक यज्ञ में जो की घने टीक के जंगलों के बीच पहाड़ी के उपर नर्मदाजी के किनारे हो रहा था  जाने का मौका मिला वर्षा का समय था हमे कोई वहां उस दुर्गम जंगल में जाने को नहीं मिल पा रहा था बारिश भी रिमझिम -२ हो रही थी, हम सोच रहे थे अब कैसे जा पाएंगे तभी मेरी बहन ने कहा अब मन बना लिया है और अगर गुरूजी चाहेंगे तो कुछ भी इन्तेजाम खुद -ब-खुद हो जायेगा तभी एक कार आती हुई दिखी थोडा पास आयी तो दीदी पहचान गयीं बोलीं अरे ये तो गुरूजी की गाड़ी आरही है इतने में वो गाड़ी हमारे पास आकर रुक गयी और गुरूजी उसमे से बोले अरे तुम लोग अकेले कहाँ जा रहे हो चलो गाड़ी में बैठो,  हमे तो जैसे कोई खज़ाना मिल गया था मुझे तो पहली बार ही गुरूजी के साथ सफ़र करने का सौभाग्य भी उस दिन मिल गया था, रस्ते का नज़ारा और मौसम सुहाना था हम मन में सोच ही रहे थे की कितना अच्छा मौसम है इतने में गुरूजी बोले "तुमको एक बात बताऊँ, पता है गोलोकधाम में भी ऐसा ही मौसम रहता है" अब तो और आनंद का एहसास होने लगा, हम सब यज्ञ स्थल पहुँच गए और गुरूजी  यज्ञ मंडप से कुछ दूर बैठे थे मंडप से थोडा नीचे उतरने पर एक बड़ा टेंट लगा था जिसमे आस-पास के गाँव से लोग पहुँच रहे थे टेंट में लोग खचाखच भरे हुए थे बारिश तेज होने के कारण फिसलन हो गयी थी इतने में टेंट के नीचे से मिटटी बहाने लगी मगर किसी का भी ध्यान इस ओर नहीं था देखते ही देखते पूरा टेंट लोगों और बच्चों के उपर आगिरा लोहे के खम्बे रॉड्स उनके उपर गिर पड़े थे उधर गुरूजी को ऊपर की तरफ किसी से बात करते देखा वो शायद श्री गणेशजी को कह रहे थे की "अरे ये क्या कर रहे हो अब तुम्ही संभालो सब को" सब ने मिलकर टेंट वापस खड़ा किया तो देखा कई लोग निचे दबे थे और किसी को एक खरोंच तक नहीं आयी थी सब ओर गुरूजी की और कृष्ण की जैजैकार हो रही थी हम सब तो बस गुरूजी को प्रणाम  कर धन्यवाद दे रहे थे उनकी कृपा से सब ठीक हो गया और यज्ञ निर्विघ्न संम्पन्न हुआ. बोलो गुरुदेव की जय, जय श्री राधे जय श्री कृष्ण

Sunday, November 28, 2010

आप लोगों को मैंने अपनी अद्ध्यात्मिक यात्रा कि शुरुवात और पूज्य गुरूजी के मिलने कि कहानी काफी डिटेल में बताई मगर उन पोस्ट्स को मै ज्यादा देर तक आप लोगों को उपलब्ध नहीं करवा सकती इसके लिए मै आप सभी से माफ़ी चाहती हूँ मगर मेरे जीवन में गुरूजी के आने के बाद काफी बदलाव आये मैंने भगवान् को कई बार अपने बहुत करीब महसूस किया मैंने हमेंशा  पाया कि अगर उनपे सच्चा विश्वास है तो वो आपके विश्वास को कभी भी टूटने नहीं देंगे, ये एहसास, अरे एहसास ही क्यों ये विश्वास अब न सिर्फ मुझे बल्कि मेरे पूरे परिवार को है कोशिश करूंगी कि अपने और उनके experiences  आप लोगों के साथ भी शेयर करूँ.------------

       गोपालजी अब हमारे घर में अपनी लीलाएं करते रहते हैं अब वो हमारे घर के एक छोटे से बच्चे हैं मगर उन्हें भी एक बुरी आदत पर गयी है हमारे साथ ही देर से सुबह उठाने कि, अगर कभी मम्मी उन्हें जल्दी उठा देती हैं तो पूरा दिन मुंह फुलाए बैठे रहते हैं या ऐसा expression देते हैं कि अभी उठने का मन नहीं है, जो हम सब को एकसा पता चल जाता है हम एक दूसरे से शुरू में पूछा करते थे कि गोपाल जी क्या कह रहे हैं बताओ तो जिससे भी पूछो सब को एक सा ही दिखाई देता  अब तो ऐसा पूछना उनपर ? मार्क लगाने जैसा लगता है , अब तो वो बस इस घर के एक छोटे से बच्चे हैं और उनकी सेवा भी यथा संभव करने कि कोशिश कि जाती है मगर त्रुटियाँ तो होती ही हैं मगर वो पता है सब माफ़ कर देते हैं.
        आप लोगों ने शायद सभी ने notice किया होगा कि बहुत सारे मंदिरों में फोटो खींचना श्रीविग्रह का मना होता है शायद कुछ लोगों को इस बात में नाराज़गी भी हो जाती होगी, क्योंकि पहले हमे भी ऐसा लगता था, मगर अब शायद इसका कारण कुछ कुछ हमे भी पता चल गया है वैसे sure तो नहीं हैं मगर लगता है शायद विग्रह का तेज कम होता होगा वैसे अगर किसीको इसका सही कारण मालूम हो तो मुझे भी बताएं, कृपा होगी. मैंने ऐसा इस लिए सोचा क्योंकि हमने जब-जब गोपाल जी के सुन्दर स्वरुप को कैमरे में कैद करना चाहा कैमरे की बाकी सारी फोटोस भी मिट गयीं पूरी कि पूरी रील ही ख़राब हो जाती है और गोपाल जी नाराज़ दिखाई देने लगते हैं तब से अब हमने उनकी फोटो खींचना बंद कर दिया है. वैसे क्या-क्या बताऊँ उनके बारे में वो तो रोज ही कुछ न कुछ करते हैं. खैर बीच-२ में कोशिश करूंगी बताने की और जो भी बात मुझे जब याद आएगी और आप सब से शेयर करने का मन होगा randomly ही लिखूंगी क्योंकि serialwise याद नहीं हैं मुझे आशा है आप लोग भी अपने experiences हमसे शेयर करेंगे इसी आशा के साथ आज यहीं विराम देना चाहूंगी आप सभी पर बिहारीजी कृपा दृष्टि बनाये रखें सभी राधाजी के कृपापात्र बने रहे यही कामना हैं जय श्री राधे-जय श्री कृष्ण, जय गुरु

Thursday, November 25, 2010

mera pranaam

!! ॐ गं गणपतये नमः !!                 !!ॐ गुरुवे नमः !!               !! ॐ श्री कृष्णाय नमः !!   

आज पहली बार मै यह ब्लॉग उनसभी को अपना प्रणाम प्रेषित करने के लिए कर रही हूँ आशा है जिस कारण मै ये ब्लॉग शुरू कर रही हूँ उसमे आप सभी का साथ  मुझे मिलेगा और आशा है की आप   सब भी इस कार्य में मेरे साथ अपने spiritual thaughts शेयर करेंगे.
                             जैसा की इस ब्लॉग के जरिये मै अपनी आद्ध्यात्मिक अनुभवों को  जो अभी तक दबे  हुये  थे  वो बताने की कोशिश कर रही हुं..............................
                             वैसे तो इस धरती पर जन्म लेने वाला प्रत्येक प्राणी किसी न किसी तरह से जाने अनजाने में उस परम पूज्य परमात्मा से जुड़ा हुआ है भले ही वोह इस बात को मानता हो या न हो मगर कोई शक्ति तो है जो उनकों इस दुनिया में जीवन व जीने की वो सारी सुविधाएं प्रदान कर रही है जिसको उसे न मानने पर भी मानना पड़ता है , इस बात में तो मुझे कोई दुविधा नहीं है की एक जानवर जिस में एक आदमी से सोचने की शक्ति कुछ कम ही है वोह भी हो नहो ये तो जरूर सोचता ही होगा तभी जब भी मैं किसी ऐसे प्राणी को देखती हूँ तो सोचने पर मजबूर हो जाती हूँ की क्या भगवान इन्हें दर्शन देते होंगे साक्षात् ? क्योंकि एक ऐसे प्राणी में तो वो ही एक बच्चे का सा दिल रहता है और मैंने सुना है की भगवान को तो कोमल और निष्कपट लोगों से ज्यादा प्यार होता है तो क्या उन्हें हमेशा ही ये एहसास नहीं होता होगा ? मैं तो मानती हूँ की ये सच है क्या आप भी इस बात पे विश्वास करते हैं?